वायुरथ: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> <span class="GRef"> म.प./58/80-82 </span> भरत क्षेत्र के महापुर नगर का राजा था। धनरथ नामक पुत्र को राज्य देकर दीक्ष। ले ली। प्राणत स्वर्ग के अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुआ। यह ‘अचलस्तोक’ बलभद्र का पूर्वभव नं. 2 है। - देखें [[ अचलस्तोक ]]। | <p class="HindiText"> <span class="GRef"> म.प./58/80-82 </span> भरत क्षेत्र के महापुर नगर का राजा था। धनरथ नामक पुत्र को राज्य देकर दीक्ष। ले ली। प्राणत स्वर्ग के अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुआ। यह ‘अचलस्तोक’ बलभद्र का पूर्वभव नं. 2 है। - देखें [[ अचलस्तोक ]]।</p> | ||
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Revision as of 17:11, 7 January 2023
सिद्धांतकोष से
म.प./58/80-82 भरत क्षेत्र के महापुर नगर का राजा था। धनरथ नामक पुत्र को राज्य देकर दीक्ष। ले ली। प्राणत स्वर्ग के अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुआ। यह ‘अचलस्तोक’ बलभद्र का पूर्वभव नं. 2 है। - देखें अचलस्तोक ।
पुराणकोष से
(1) विद्याधरों का स्वामी । यह विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में गौरी देश के भोगपुर नगर का राजा था । स्वयंप्रभा इसकी रानी थी । रतिषेणा कबूतरी मरकर इन्हीं दोनों की प्रभावती नाम की पुत्री हुई थी । महापुराण 46. 147-148, पांडवपुराण 3.212-213
(2) बलभद्र अचलस्तोक के दूसरे पूर्वभव का जीव-भरतक्षेत्र के महापुर नगर का राजा । यह अर्हत् सुव्रत से धर्म का उपदेश सुनकर विरक्त हो गया था । फलस्वरूप पुत्र घनरथ को राज्य देकर यह तपस्वी हो गया तथा सुमरण कर के प्राणत स्वर्ग के अनुत्तर विमान में इंद्र हुआ । महापुराण 58-80-83