गुप्तिगुप्त: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">श्रुतावतार में कथित अर्हद्वली का अपर नाम जिनका स्मरण नन्दिसंघ बलात्कार गण की गुर्वावली में आ. भद्रबाहु द्वि. के पश्चात् और माघनन्दि से पूर्व किया गया है। वास्तव में नन्दि संघ के साथ इनका कोई सम्बन्ध नहीं है। विशेष देखें - [[ कोश खण्ड परिशिष्ट#1.2.7 | कोश खण्ड परिशिष्ट / १ / २ / ७ ]]। समय–वी.नि. ५६५-५७५ (ई.३८-४८) ( | <p class="HindiText">श्रुतावतार में कथित अर्हद्वली का अपर नाम जिनका स्मरण नन्दिसंघ बलात्कार गण की गुर्वावली में आ. भद्रबाहु द्वि. के पश्चात् और माघनन्दि से पूर्व किया गया है। वास्तव में नन्दि संघ के साथ इनका कोई सम्बन्ध नहीं है। विशेष देखें - [[ कोश खण्ड परिशिष्ट#1.2.7 | कोश खण्ड परिशिष्ट / १ / २ / ७ ]]। समय–वी.नि. ५६५-५७५ (ई.३८-४८) ( देखें - [[ इतिहास#7.2 | इतिहास / ७ / २ ]])। | ||
समय–शक सं २६-३६ (ई.१०४-११४)– देखें - [[ इतिहास#5.13 | इतिहास / ५ / १३ ]]।</p> | समय–शक सं २६-३६ (ई.१०४-११४)– देखें - [[ इतिहास#5.13 | इतिहास / ५ / १३ ]]।</p> | ||
Revision as of 20:20, 28 February 2015
श्रुतावतार में कथित अर्हद्वली का अपर नाम जिनका स्मरण नन्दिसंघ बलात्कार गण की गुर्वावली में आ. भद्रबाहु द्वि. के पश्चात् और माघनन्दि से पूर्व किया गया है। वास्तव में नन्दि संघ के साथ इनका कोई सम्बन्ध नहीं है। विशेष देखें - कोश खण्ड परिशिष्ट / १ / २ / ७ । समय–वी.नि. ५६५-५७५ (ई.३८-४८) ( देखें - इतिहास / ७ / २ )। समय–शक सं २६-३६ (ई.१०४-११४)– देखें - इतिहास / ५ / १३ ।