वैडूर्य: Difference between revisions
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<li> पद्मह्रद में स्थित एक कूट–देखें [[ लोक#5.7 | लोक - 5.7]]। </li> | <li> पद्मह्रद में स्थित एक कूट–देखें [[ लोक#5.7 | लोक - 5.7]]। </li> | ||
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<li> रुचक पर्वत का एक कूट–देखें [[ लोक#5. | <li> रुचक पर्वत का एक कूट–देखें [[ लोक#5.13| लोक - 5.13]]। </li> | ||
<li> सौधर्म स्वर्ग का 14वाँ पटल–देखें [[ स्वर्ग#5.3 | स्वर्ग - 5.3]]। </li> | <li> सौधर्म स्वर्ग का 14वाँ पटल–देखें [[ स्वर्ग#5.3 | स्वर्ग - 5.3]]। </li> | ||
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Revision as of 19:54, 10 March 2023
सिद्धांतकोष से
- मध्यलोककेअंतमेंसप्तमसागर व द्वीप।–देखें लोक - 5.1।
- सुमेरु पर्वत का अपर नाम सुवैडूर्य चूलिका है–देखें सुमेरु ।
- महा हिमवान् पर्वत का एक कूट व उसका रक्षक देव।–देखें लोक - 5.4.5 ।
- पद्मह्रद में स्थित एक कूट–देखें लोक - 5.7।
- मानुषोत्तर पर्वत का एक कूट–देखें लोक - 5.10।
- रुचक पर्वत का एक कूट–देखें लोक - 5.13।
- सौधर्म स्वर्ग का 14वाँ पटल–देखें स्वर्ग - 5.3।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र का एक पर्वत । चक्रवर्ती भरतेश के सैनिक दिग्विजय के समय यहाँ आये थे । महापुराण 29.67
(2) महाशुक्र स्वर्ग का एक विमान । महापुराण 29.226
(3) महाशुक्र स्वर्ग का देव । महापुराण 59.226
(4) नील-मणि । हरिवंशपुराण 2.10
(5) रत्नप्रभा-प्रथम नरक के खरभाग का तीसरा पटल । हरिवंशपुराण 4.52 देखें खरभाग
(6) महाहिमवत् कुलाचल का आठवाँँ कूट । हरिवंशपुराण 5.72
(7) रूचकगिरि की पूर्वदिशा का एक कूट । यहाँ विजयादिक्कुमारी देवी निवास करती है । हरिवंशपुराण 5.705
(8) रूचकगिरि की ऐशान दिशा का एक कूट । यहां रूचका महत्तरिका देवी रहती है । हरिवंशपुराण 5.72 2
(9) सौधर्म युगल का चौदहवाँ इंद्रक । हरिवंशपुराण 6.45 देखें सौधर्म
(10) मानुषोत्तर पर्वत का पूर्व दिशा का एक कूट । यहाँ यशस्वान् देव रहता है । हरिवंशपुराण 5.602