कुभोगभूमि: Difference between revisions
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<span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति/4/2954 </span><span class="PrakritGatha">छब्बीसदुदेक्कसंयप्पमाणभोगक्खिदीण सुहमेक्कं। कम्मखिदीसु णराणं हवेदि सोक्खं च दुक्खं च।2954।</span> = <span class="HindiText">मनुष्यों को एक सौ छब्बीस भोगभूमियों में (30 भोगभूमियों और 96 '''कुभोगभूमियों''' में) केवल सुख, और कर्मभूमियों में सुख एवं दुःख दोनों ही होते हैं।</span> | <span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति/4/2954 </span><span class="PrakritGatha">छब्बीसदुदेक्कसंयप्पमाणभोगक्खिदीण सुहमेक्कं। कम्मखिदीसु णराणं हवेदि सोक्खं च दुक्खं च।2954।</span> = <span class="HindiText">मनुष्यों को एक सौ छब्बीस भोगभूमियों में (30 भोगभूमियों और 96 '''कुभोगभूमियों''' में) केवल सुख, और कर्मभूमियों में सुख एवं दुःख दोनों ही होते हैं।</span> | ||
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Revision as of 09:34, 17 June 2023
तिलोयपण्णत्ति/4/2954 छब्बीसदुदेक्कसंयप्पमाणभोगक्खिदीण सुहमेक्कं। कम्मखिदीसु णराणं हवेदि सोक्खं च दुक्खं च।2954। = मनुष्यों को एक सौ छब्बीस भोगभूमियों में (30 भोगभूमियों और 96 कुभोगभूमियों में) केवल सुख, और कर्मभूमियों में सुख एवं दुःख दोनों ही होते हैं।
देखें अंतर्द्वीपज म्लेच्छ ।