कौंडिन्य: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> इंद्र की प्रेरणा से महावीर के समवसरण मे आगत एक विद्वान् । इसके पाँच सौ शिष्य थे । समवसरण में आकर वस्त्र आदि त्याग कर अपने शिष्यों के साथ यह संयमी हो गया था ।</span> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2. 68-69 </span> | <span class="HindiText"> इंद्र की प्रेरणा से महावीर के समवसरण मे आगत एक विद्वान् । इसके पाँच सौ शिष्य थे । समवसरण में आकर वस्त्र आदि त्याग कर अपने शिष्यों के साथ यह संयमी हो गया था ।</span> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#68|हरिवंशपुराण - 2.68-69]] </span> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
इंद्र की प्रेरणा से महावीर के समवसरण मे आगत एक विद्वान् । इसके पाँच सौ शिष्य थे । समवसरण में आकर वस्त्र आदि त्याग कर अपने शिष्यों के साथ यह संयमी हो गया था । हरिवंशपुराण - 2.68-69