कौंडिन्य
From जैनकोष
इंद्र की प्रेरणा से महावीर के समवसरण मे आगत एक विद्वान् । इसके पाँच सौ शिष्य थे । समवसरण में आकर वस्त्र आदि त्याग कर अपने शिष्यों के साथ यह संयमी हो गया था । हरिवंशपुराण - 2.68-69
इंद्र की प्रेरणा से महावीर के समवसरण मे आगत एक विद्वान् । इसके पाँच सौ शिष्य थे । समवसरण में आकर वस्त्र आदि त्याग कर अपने शिष्यों के साथ यह संयमी हो गया था । हरिवंशपुराण - 2.68-69