क्षेमंधर: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 16: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<span class="HindiText"> चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । <span class="GRef"> महापुराण 3. 103-107, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.78, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.152-153, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 103-106 </span> | <span class="HindiText"> चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । <span class="GRef"> महापुराण 3. 103-107, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#78|पद्मपुराण - 3.78]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.152-153, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 103-106 </span> | ||
Revision as of 22:20, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
- वर्तमान कालीन चतुर्थ कुलकर। विशेष परिचय–देखें सोलह कुलकर निर्देश।
- कृति–बृहत्कथामंजरी; समय–ई. 1000 (जीवंधर चंपू/प्र.18)।
पुराणकोष से
चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । महापुराण 3. 103-107, पद्मपुराण - 3.78, हरिवंशपुराण 7.152-153, पांडवपुराण 2. 103-106