चारणप्रिय: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> प्रमद वन के सात वनों में पाँचवां वन । यह वन पापापहारी है । इसमें चारणऋद्धिधारी मुनिराज स्वाध्याय-रत रहते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 46.141-143, 150 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> प्रमद वन के सात वनों में पाँचवां वन । यह वन पापापहारी है । इसमें चारणऋद्धिधारी मुनिराज स्वाध्याय-रत रहते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_46#141|पद्मपुराण - 46.141-143]], 150 </span></p> | ||
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Revision as of 22:20, 17 November 2023
प्रमद वन के सात वनों में पाँचवां वन । यह वन पापापहारी है । इसमें चारणऋद्धिधारी मुनिराज स्वाध्याय-रत रहते हैं । पद्मपुराण - 46.141-143, 150