स्वाति: Difference between revisions
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<li | <li class="HindiText">मानुषोत्तर पर्वतस्थ तपनीय कूट का स्वामी भवनवासी गरुड़ कुमार देव-देखें [[ लोक#5.10 | लोक - 5.10]]।</span></li> | ||
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) मानुषोत्तर पर्वत की आग्नेय दिशा के तपनीयककूट का निवासी एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.606 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) मानुषोत्तर पर्वत की आग्नेय दिशा के तपनीयककूट का निवासी एक देव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#606|हरिवंशपुराण - 5.606]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) हैमवत् क्षेत्र के श्रद्धावान् पर्वत (नाभिगिरि) का निवासी एक व्यंतर देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.161, 163-164 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) हैमवत् क्षेत्र के श्रद्धावान् पर्वत (नाभिगिरि) का निवासी एक व्यंतर देव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#161|हरिवंशपुराण - 5.161]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#163|हरिवंशपुराण - 5.163]]-164 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:31, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- एक नक्षत्र-देखें नक्षत्र ।
- मानुषोत्तर पर्वतस्थ तपनीय कूट का स्वामी भवनवासी गरुड़ कुमार देव-देखें लोक - 5.10।
पुराणकोष से
(1) मानुषोत्तर पर्वत की आग्नेय दिशा के तपनीयककूट का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण - 5.606
(2) हैमवत् क्षेत्र के श्रद्धावान् पर्वत (नाभिगिरि) का निवासी एक व्यंतर देव । हरिवंशपुराण - 5.161,हरिवंशपुराण - 5.163-164