अनुभय: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> कर्म-बंध के चार भेदों में तीसरा भेद । पुद्गल की फलदान शक्ति मे उसकी समर्थता के अनुसार हीनाधिकता का होना । <span class="GRef"> महापुराण </span>में इसे अनुभागबंध कहा है । <span class="GRef"> महापुराण </span>20.254, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.202-203, 212 | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> कर्म-बंध के चार भेदों में तीसरा भेद । पुद्गल की फलदान शक्ति मे उसकी समर्थता के अनुसार हीनाधिकता का होना । <span class="GRef"> महापुराण </span>में इसे अनुभागबंध कहा है । <span class="GRef"> महापुराण </span>20.254, <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#202|हरिवंशपुराण - 58.202-203]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#212|58.212]] </span>देखें [[ बंध ]]</p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
कर्म-बंध के चार भेदों में तीसरा भेद । पुद्गल की फलदान शक्ति मे उसकी समर्थता के अनुसार हीनाधिकता का होना । महापुराण में इसे अनुभागबंध कहा है । महापुराण 20.254, हरिवंशपुराण - 58.202-203, 58.212 देखें बंध