अनुभय
From जैनकोष
कर्म-बंध के चार भेदों में तीसरा भेद । पुद्गल की फलदान शक्ति मे उसकी समर्थता के अनुसार हीनाधिकता का होना । महापुराण में इसे अनुभागबंध कहा है । महापुराण 20.254, हरिवंशपुराण - 58.202-203, 58.212 देखें बंध
कर्म-बंध के चार भेदों में तीसरा भेद । पुद्गल की फलदान शक्ति मे उसकी समर्थता के अनुसार हीनाधिकता का होना । महापुराण में इसे अनुभागबंध कहा है । महापुराण 20.254, हरिवंशपुराण - 58.202-203, 58.212 देखें बंध