कल्याणमाला: Difference between revisions
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<span class="HindiText">कल्याणमाला बाल्यखिल्य की पुत्री थी। अपने पिता की अनुपस्थिति में पुरूषवेश में राज्यकार्य करती थी([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_34#40|40-48]])। राम-लक्ष्मण द्वारा अपने पिता को म्लेच्छों की बंदी से मुक्त हुआ जान ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_34#79|79-97]]) उसने लक्ष्मण को वर लिया ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_34#80|80-110]])। | |||
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Latest revision as of 16:06, 20 February 2024
सिद्धांतकोष से
–( पद्मपुराण/34/ श्लोक नं0)
कल्याणमाला बाल्यखिल्य की पुत्री थी। अपने पिता की अनुपस्थिति में पुरूषवेश में राज्यकार्य करती थी(40-48)। राम-लक्ष्मण द्वारा अपने पिता को म्लेच्छों की बंदी से मुक्त हुआ जान (79-97) उसने लक्ष्मण को वर लिया (80-110)।
पुराणकोष से
राजा बालिखिल्य की पुत्री । अपने पिता की अनुपस्थिति में यह पुरुष के वेश में राज्य का संचालन करती थी । राम, लक्ष्मण और सीता से इसकी भेंट होने पर इसने अपना यह गुप्त रहस्य प्रकट कर दिया था कि जब वह गर्भ में थी उस समय उसके पिता का म्लेच्छ राजा के साथ युद्ध हुआ था और पराजित होने पर सिंहोदर ने बालिखिल्य से कहा था कि यदि उसकी रानी के गर्भ से पुत्र हो तो वह राज्य करे । दुर्भाग्य से यह पुत्री हुई किंतु मंत्री ने सिंहोदर को पुत्र हुआ बताकर उसे राज्य दिला दिया । उसके पिता बंदी थे । यह रहस्य जानकर राम ने उसके पिता को मुक्त कराया था । इसने लक्ष्मण को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था । यह लक्ष्मण की आठ महादेवियों मे चौथी महादेवी थी । इसके मंगल नाम का पुत्र हुआ था । पद्मपुराण - 34.1-91, 80.110-113 , 94.20-23, 94.32