महिमा है अगम जिनागमकी: Difference between revisions
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(राग ईमन)
महिमा है अगम जिनागम की ।।टेक ।।
जाहि सुनत जड़ भिन्न पिछानी, हम चिन्मूरति आतम की ।।
रागादिक दुखकारन जानें, त्याग बुद्धि दीनी भ्रमकी ।
ज्ञान ज्योति जागी घट अंतर, रुचि बाढ़ी पुनि शमदमकी ।।१ ।।
कर्म बंध की भई निरजरा, कारण परंपरा क्रम की ।
`भागचन्द' शिव लालच लागो, पहुँच नहीं है जहँ जमकी ।।२ ।।