राम: Difference between revisions
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<p class="HindiText">म. पु./सर्ग/श्लोक नं. राजा दशरथ के पुत्र थे (२५/२२) स्वयंवर में सीता से विवाह किया (२५/२४५) माता केकयी द्वारा वनवास दिया गया (३१/१९१) वनवास काल में सीताहरण होने पर रावण से युद्ध कर रावण को मारकर सीता को प्राप्त किया (७६/३३) परन्तु लौटने पर लोकापवाद से सीता का परित्याग किया (९७/१०८) अन्त में भाई लक्ष्मण की मृत्यु से पीड़ित हो दीक्षा ग्रहण कर (११९/२४-२७) मोक्ष प्राप्त की (१२२/६७) इनका अपरनाम ‘पद्म’ था। ये ८वें बलदेव थे। (विशेष | <p class="HindiText">म. पु./सर्ग/श्लोक नं. राजा दशरथ के पुत्र थे (२५/२२) स्वयंवर में सीता से विवाह किया (२५/२४५) माता केकयी द्वारा वनवास दिया गया (३१/१९१) वनवास काल में सीताहरण होने पर रावण से युद्ध कर रावण को मारकर सीता को प्राप्त किया (७६/३३) परन्तु लौटने पर लोकापवाद से सीता का परित्याग किया (९७/१०८) अन्त में भाई लक्ष्मण की मृत्यु से पीड़ित हो दीक्षा ग्रहण कर (११९/२४-२७) मोक्ष प्राप्त की (१२२/६७) इनका अपरनाम ‘पद्म’ था। ये ८वें बलदेव थे। (विशेष देखें - [[ शलाका पुरुष#3 | शलाका पुरुष / ३ ]])।</p> | ||
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Revision as of 15:25, 6 October 2014
म. पु./सर्ग/श्लोक नं. राजा दशरथ के पुत्र थे (२५/२२) स्वयंवर में सीता से विवाह किया (२५/२४५) माता केकयी द्वारा वनवास दिया गया (३१/१९१) वनवास काल में सीताहरण होने पर रावण से युद्ध कर रावण को मारकर सीता को प्राप्त किया (७६/३३) परन्तु लौटने पर लोकापवाद से सीता का परित्याग किया (९७/१०८) अन्त में भाई लक्ष्मण की मृत्यु से पीड़ित हो दीक्षा ग्रहण कर (११९/२४-२७) मोक्ष प्राप्त की (१२२/६७) इनका अपरनाम ‘पद्म’ था। ये ८वें बलदेव थे। (विशेष देखें - शलाका पुरुष / ३ )।