हरि: Difference between revisions
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<li><span class="HindiText">चम्पापुर के राजा आर्य का पुत्र था। इसी के नाम पर हरिवंश की उत्पत्ति हुई (ह.पु./15/57-58)-देखें [[ इतिहास#10.18 | इतिहास - 10.18]]। | |||
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<p id="1"> (1) चम्पापुर के राजा आर्य और रानी मनोरमा का पुत्र । जगत में इसी राजा के नाम पर हरिवंश की प्रसिद्धि हुई । इसके पुत्र का नाम महागिरि था । वृषभदेव ने इसे आदर सत्कार पूर्वक महामाण्डलिक राजा बनाया था । <span class="GRef"> महापुराण 16. 226-259, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 21. 6-8, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 15.53-59 </span></p> | |||
<p id="2">(2) भरतेश द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 24.36 </span></p> | |||
<p id="3">(3) राजा अमररक्ष के पुत्रों द्वारा बसाये गये दस नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.66-68 </span></p> | |||
<p id="4">(4) बन्दर, सिंह, विष्णु तथा इसका पर्यायवाची नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 55.117 </span></p> | |||
<p id="5">(5) चन्द्रपुर नगर का राजा । इसकी रानी धरा और पुत्र व्रतकीर्तन था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.135-136 </span></p> | |||
<p id="6">(6) भरत के साथ दीक्षित एक नृप । <span class="GRef"> पद्मपुराण 88. 1-5 </span></p> | |||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- चम्पापुर के राजा आर्य का पुत्र था। इसी के नाम पर हरिवंश की उत्पत्ति हुई (ह.पु./15/57-58)-देखें इतिहास - 10.18।
- निषध पर्वतस्थ एक कूट व उसका स्वमी देव-देखें लोक - 5.4।
- विद्युत्प्रभ गजदन्त का एक कूट व उसका रक्षक देव-देखें लोक - 5.4।
- माल्यवान्पर्वतस्थ एक कूट व उसकी स्वामिनी देवी-देखें लोक - 5.4।
पुराणकोष से
(1) चम्पापुर के राजा आर्य और रानी मनोरमा का पुत्र । जगत में इसी राजा के नाम पर हरिवंश की प्रसिद्धि हुई । इसके पुत्र का नाम महागिरि था । वृषभदेव ने इसे आदर सत्कार पूर्वक महामाण्डलिक राजा बनाया था । महापुराण 16. 226-259, पद्मपुराण 21. 6-8, हरिवंशपुराण 15.53-59
(2) भरतेश द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 24.36
(3) राजा अमररक्ष के पुत्रों द्वारा बसाये गये दस नगरों में एक नगर । पद्मपुराण 6.66-68
(4) बन्दर, सिंह, विष्णु तथा इसका पर्यायवाची नाम । हरिवंशपुराण 55.117
(5) चन्द्रपुर नगर का राजा । इसकी रानी धरा और पुत्र व्रतकीर्तन था । पद्मपुराण 5.135-136
(6) भरत के साथ दीक्षित एक नृप । पद्मपुराण 88. 1-5