गृहांग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> एक प्रकार के कल्पवृक्ष । ये भोगभूमि में आवश्यकतानुसार राजमहल, मण्डप, सभागृह, चित्रमाला, नृत्यशीला आदि अनेक प्रकार के भवनों का निर्माण करते हैं । महापुराण 3. 39-40, 9.35-36,44, हरिवंशपुराण 7.80, वीरवर्द्धमान चरित्र 18,91-92</p> | <p> एक प्रकार के कल्पवृक्ष । ये भोगभूमि में आवश्यकतानुसार राजमहल, मण्डप, सभागृह, चित्रमाला, नृत्यशीला आदि अनेक प्रकार के भवनों का निर्माण करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 3. 39-40, 9.35-36,44, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.80, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18,91-92 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ गृहस्थाचार्य | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ गृहिमूलगुणाष्टक | अगला पृष्ठ ]] | [[ गृहिमूलगुणाष्टक | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 21:40, 5 July 2020
एक प्रकार के कल्पवृक्ष । ये भोगभूमि में आवश्यकतानुसार राजमहल, मण्डप, सभागृह, चित्रमाला, नृत्यशीला आदि अनेक प्रकार के भवनों का निर्माण करते हैं । महापुराण 3. 39-40, 9.35-36,44, हरिवंशपुराण 7.80, वीरवर्द्धमान चरित्र 18,91-92