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<p> बहुमूल्य उत्तरीय वस्त्र । यह रेशमी होता है । इसे दुशाला भी कहते हैं । भोगभूमि में ये वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्षों से प्राप्त होते हैं । महापुराण 9.48</p> | <p> बहुमूल्य उत्तरीय वस्त्र । यह रेशमी होता है । इसे दुशाला भी कहते हैं । भोगभूमि में ये वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्षों से प्राप्त होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 9.48 </span></p> | ||
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
बहुमूल्य उत्तरीय वस्त्र । यह रेशमी होता है । इसे दुशाला भी कहते हैं । भोगभूमि में ये वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्षों से प्राप्त होते हैं । महापुराण 9.48