विद्याधरवंश: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> पौराणिक चार महावंशों में तीसरा महावंश । विद्याधर नमि इस देश का प्रथम राजा था । नमि के पश्चात् उसका पुत्र | <p> पौराणिक चार महावंशों में तीसरा महावंश । विद्याधर नमि इस देश का प्रथम राजा था । नमि के पश्चात् उसका पुत्र रत्नमाली राजा हुआ । इसके पश्चात् रत्नवज्र, रत्नरथ, रत्नचित्र, चन्द्ररथ, वज्रजंघ, वज्रसेन, वज्रदंष्ट्र, वज्रध्वज, वज्रायुध, वज्र, सुवज्र, वज्रभूत, वज्राभ, वज्रबाहु, वज्रसंज्ञ, वज्रास्य, वज्रपाणि, वज्रजातु, वज्रवान्, विद्युन्मुख, सुवक्त्र, विद्युद्दंष्ट्र, विद्युत्वान्, विद्युदाभ, विद्युद्वेग, वैद्युत राजा हुए । इन राजाओं के पश्चात् विद्युद्दृढ़ राजा हुआ । यह दोनों श्रेणियों का स्वामी था । यह दृढ़रथ पुत्र को राज्य सौंपकर तप करते हुए मरकर स्वर्ग गया । इसके पश्चात् अश्वधर्मा, अश्वायु, अश्वध्वज, पद्मनिभ, पद्ममाली, पद्मरथ, सिंहयान, मृगोद्धर्मा, सिंहसप्रभु, सिंहकेतु, शशांकमुख, चन्द्र, चन्द्रशेखर, इन्द्र, चन्द्ररथ, चक्रधर्मा, चक्रायुध, चक्रध्वज, मणिग्रीव, मण्यंक, मणिभासुर, मणिस्यन्दन, मण्यास्य, विम्बोष्ठ, लम्बिताधर, रक्तोष्ठ, हरिचन्द्र, पूश्चन्द्र, पूर्णचन्द्र, बालेन्दु, चन्द्रचूड, व्योमेन्दु, उडुपालन, एकजुड, द्विचूड, त्रिचूड, वज्रचूड, भूरिचुड, अर्कचूड, वह्निजटी, वह्नितेज, इसी प्रकार इस वंश में और भी राजा हुए । इनमें अनेक नृप पुत्रों को राज्य सौंपते हुए कर्मों का क्षय करके सिद्ध हुए हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.3, 16-25, 47-55 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ विद्याधर | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ विद्याधर वंश | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ विद्यानन्द महोदय | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] |
Revision as of 21:47, 5 July 2020
पौराणिक चार महावंशों में तीसरा महावंश । विद्याधर नमि इस देश का प्रथम राजा था । नमि के पश्चात् उसका पुत्र रत्नमाली राजा हुआ । इसके पश्चात् रत्नवज्र, रत्नरथ, रत्नचित्र, चन्द्ररथ, वज्रजंघ, वज्रसेन, वज्रदंष्ट्र, वज्रध्वज, वज्रायुध, वज्र, सुवज्र, वज्रभूत, वज्राभ, वज्रबाहु, वज्रसंज्ञ, वज्रास्य, वज्रपाणि, वज्रजातु, वज्रवान्, विद्युन्मुख, सुवक्त्र, विद्युद्दंष्ट्र, विद्युत्वान्, विद्युदाभ, विद्युद्वेग, वैद्युत राजा हुए । इन राजाओं के पश्चात् विद्युद्दृढ़ राजा हुआ । यह दोनों श्रेणियों का स्वामी था । यह दृढ़रथ पुत्र को राज्य सौंपकर तप करते हुए मरकर स्वर्ग गया । इसके पश्चात् अश्वधर्मा, अश्वायु, अश्वध्वज, पद्मनिभ, पद्ममाली, पद्मरथ, सिंहयान, मृगोद्धर्मा, सिंहसप्रभु, सिंहकेतु, शशांकमुख, चन्द्र, चन्द्रशेखर, इन्द्र, चन्द्ररथ, चक्रधर्मा, चक्रायुध, चक्रध्वज, मणिग्रीव, मण्यंक, मणिभासुर, मणिस्यन्दन, मण्यास्य, विम्बोष्ठ, लम्बिताधर, रक्तोष्ठ, हरिचन्द्र, पूश्चन्द्र, पूर्णचन्द्र, बालेन्दु, चन्द्रचूड, व्योमेन्दु, उडुपालन, एकजुड, द्विचूड, त्रिचूड, वज्रचूड, भूरिचुड, अर्कचूड, वह्निजटी, वह्नितेज, इसी प्रकार इस वंश में और भी राजा हुए । इनमें अनेक नृप पुत्रों को राज्य सौंपते हुए कर्मों का क्षय करके सिद्ध हुए हैं । पद्मपुराण 5.3, 16-25, 47-55