विनयविलास: Difference between revisions
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<p> एक निर्ग्रन्थ मुनि । ये प्रभापुर नगर के राजा श्रीनन्दन और रानी धरणी के छठे पुत्र थे । सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुन्दर, जयवान् इनके बड़े भाई और जयमित्र छोटा भाई था । ये सातों भाई प्रीतिंकर मुनिराज के केवलज्ञान के समय देवों का आगमन देखकर बोध को प्राप्त हुए । ये पिता के साथ धर्माराधन करने लगे थे । राजा श्रीनन्दन ने डमरमंगल नामक एक मास के बालक को राज्य देकर अपने इन सातों पुत्रों के साथ प्रीतिंकर मुनिराज सै दीक्षा की थी । इन्होंने केवलज्ञान प्रकट किया और मोक्ष गये । में सातों मुनि सप्तर्षि कहलाये । | <p> एक निर्ग्रन्थ मुनि । ये प्रभापुर नगर के राजा श्रीनन्दन और रानी धरणी के छठे पुत्र थे । सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुन्दर, जयवान् इनके बड़े भाई और जयमित्र छोटा भाई था । ये सातों भाई प्रीतिंकर मुनिराज के केवलज्ञान के समय देवों का आगमन देखकर बोध को प्राप्त हुए । ये पिता के साथ धर्माराधन करने लगे थे । राजा श्रीनन्दन ने डमरमंगल नामक एक मास के बालक को राज्य देकर अपने इन सातों पुत्रों के साथ प्रीतिंकर मुनिराज सै दीक्षा की थी । इन्होंने केवलज्ञान प्रकट किया और मोक्ष गये । में सातों मुनि सप्तर्षि कहलाये । शत्रुघ्न ने इन सप्तर्षियों की प्रतिमाएँ मथुरा में स्थापित कराई थीं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 92.1-42, 81-82 </span></p> | ||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
एक निर्ग्रन्थ मुनि । ये प्रभापुर नगर के राजा श्रीनन्दन और रानी धरणी के छठे पुत्र थे । सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुन्दर, जयवान् इनके बड़े भाई और जयमित्र छोटा भाई था । ये सातों भाई प्रीतिंकर मुनिराज के केवलज्ञान के समय देवों का आगमन देखकर बोध को प्राप्त हुए । ये पिता के साथ धर्माराधन करने लगे थे । राजा श्रीनन्दन ने डमरमंगल नामक एक मास के बालक को राज्य देकर अपने इन सातों पुत्रों के साथ प्रीतिंकर मुनिराज सै दीक्षा की थी । इन्होंने केवलज्ञान प्रकट किया और मोक्ष गये । में सातों मुनि सप्तर्षि कहलाये । शत्रुघ्न ने इन सप्तर्षियों की प्रतिमाएँ मथुरा में स्थापित कराई थीं । पद्मपुराण 92.1-42, 81-82