विनयश्री: Difference between revisions
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<p id="1">(1) कृष्ण की पटरानी-गान्धारी के पांचवें पूर्वभव का जीव । यह इस भव में कौशल देश की अयोध्या नगरी के राजा रुद्र की रानी थी । इसने सिद्धार्थवन में अपने पति के साथ बुद्धार्थ अपर नाम श्रीधर मुनि को आहार दिया था । इस दान के प्रभाव से यह उत्तरकुरु में तीन पल्य की आयु धारिणी आर्या हुई थी । महापुराण 71. 416-418, हरिवंशपुराण 60.86-88</p> | <p id="1">(1) कृष्ण की पटरानी-गान्धारी के पांचवें पूर्वभव का जीव । यह इस भव में कौशल देश की अयोध्या नगरी के राजा रुद्र की रानी थी । इसने सिद्धार्थवन में अपने पति के साथ बुद्धार्थ अपर नाम श्रीधर मुनि को आहार दिया था । इस दान के प्रभाव से यह उत्तरकुरु में तीन पल्य की आयु धारिणी आर्या हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 416-418, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.86-88 </span></p> | ||
<p id="2">(2) | <p id="2">(2) कृष्ण की आठवीं पटरानी पद्मावती के आठवें पूर्वभव का जीव । यह भरतक्षेत्र के उज्जयिनी नगरी के राजा अपराजित और रानी विजया की पुत्री थी । इसका विवाह हस्तिनापुर के राजा हरिषेण से हुआ था । इसने पति के साथ वरदत्त मुनिराज को आहार दिया था । अत: मरकर इस आहारदान के फलस्वरूप यह हैमवत क्षेत्र में एक पल्य की आयु लेकर आयी हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 443-445 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.104-107 </span></p> | ||
<p id="3">(3) चम्पानगरी के सेठ वैश्रवणदत्त तथा उसकी स्त्री विनयवती की पुत्री । केवली जम्बूस्वामी की यह गृहस्थावस्था की स्त्री थी । महापुराण 76.47-50</p> | <p id="3">(3) चम्पानगरी के सेठ वैश्रवणदत्त तथा उसकी स्त्री विनयवती की पुत्री । केवली जम्बूस्वामी की यह गृहस्थावस्था की स्त्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 76.47-50 </span></p> | ||
Revision as of 21:47, 5 July 2020
(1) कृष्ण की पटरानी-गान्धारी के पांचवें पूर्वभव का जीव । यह इस भव में कौशल देश की अयोध्या नगरी के राजा रुद्र की रानी थी । इसने सिद्धार्थवन में अपने पति के साथ बुद्धार्थ अपर नाम श्रीधर मुनि को आहार दिया था । इस दान के प्रभाव से यह उत्तरकुरु में तीन पल्य की आयु धारिणी आर्या हुई थी । महापुराण 71. 416-418, हरिवंशपुराण 60.86-88
(2) कृष्ण की आठवीं पटरानी पद्मावती के आठवें पूर्वभव का जीव । यह भरतक्षेत्र के उज्जयिनी नगरी के राजा अपराजित और रानी विजया की पुत्री थी । इसका विवाह हस्तिनापुर के राजा हरिषेण से हुआ था । इसने पति के साथ वरदत्त मुनिराज को आहार दिया था । अत: मरकर इस आहारदान के फलस्वरूप यह हैमवत क्षेत्र में एक पल्य की आयु लेकर आयी हुई थी । महापुराण 71. 443-445 हरिवंशपुराण 60.104-107
(3) चम्पानगरी के सेठ वैश्रवणदत्त तथा उसकी स्त्री विनयवती की पुत्री । केवली जम्बूस्वामी की यह गृहस्थावस्था की स्त्री थी । महापुराण 76.47-50