उत्सर्ग: Difference between revisions
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<p>= द्रव्यका अर्थ सामान्य, उत्सर्ग और अनुवृत्ति है। उसको विषय करनेवाला नय द्रव्यार्थिकनय है।</p> | <p>= द्रव्यका अर्थ सामान्य, उत्सर्ग और अनुवृत्ति है। उसको विषय करनेवाला नय द्रव्यार्थिकनय है।</p> | ||
<p> दर्शनपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 24/21/20 सामान्योक्तो विधिरुत्सर्गः।</p> | <p> दर्शनपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 24/21/20 सामान्योक्तो विधिरुत्सर्गः।</p> | ||
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 1/33/140/9 द्रव्यं सामान्यमुत्सर्गः अनुवृत्तिरित्यर्थः।
= द्रव्यका अर्थ सामान्य, उत्सर्ग और अनुवृत्ति है। उसको विषय करनेवाला नय द्रव्यार्थिकनय है।
दर्शनपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 24/21/20 सामान्योक्तो विधिरुत्सर्गः।
= सामान्य रूपसे कही जानेवाली विधिको उत्सर्ग कहते हैं।
2. अप्रत्यवेक्षित अप्रमार्जितोत्सर्ग
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/34/370/11 अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितायां भूमौ मूत्रपुरीषोत्सर्गः अप्रत्ययवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्गः।
= बिना देखी और बिना प्रमार्जित (पीछी आदिसे झाड़ी गयी) भूमिमें मलमूत्रका त्याग करना अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्ग है।
पुराणकोष से
पांच समितियों में एक समिति । अपर नाम प्रतिष्ठान समिति । इसमें प्रासुक भूमि पर मल-मूत्र आदिक किया जाता है । इसका पालन साधु करते है । महापुराण 14,108 हरिवंशपुराण 2.126, पांडवपुराण 9.95