उत्सरण
From जैनकोष
यह स्थिति बन्धोत्सरण के रूप में है।
लब्धिसार / भाषा 314/399/3 जैसे स्थिति बन्धापसरण करके (देखें अपकर्षण - 3) चढ़ते हुए स्थितिबन्ध घटाकर एक-एक अन्तर्मुहूर्त में समान बन्ध करता था, वैसे ही यहाँ स्थितिबन्धोत्सरणकार स्थिति बन्ध बँधाकर एक-एक अन्तर्मुहूर्त में समान बन्ध करता है।