सर्वार्थसिद्धिस्तूप: Difference between revisions
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<p> समवसरण का एक स्तूप । इसकी चारों दिशाओं में विजय आदि विमानों की रचना होती है । हरिवंशपुराण 57.102</p> | <p> समवसरण का एक स्तूप । इसकी चारों दिशाओं में विजय आदि विमानों की रचना होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.102 </span></p> | ||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
समवसरण का एक स्तूप । इसकी चारों दिशाओं में विजय आदि विमानों की रचना होती है । हरिवंशपुराण 57.102