लगी लो नाभिनंदनसों: Difference between revisions
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Revision as of 12:38, 8 February 2008
लगी लो नाभिनंदनसों ।
(राग सोरठ)
लगी लो नाभिनंदन सों । जपत जेम चकोर चकई, चन्द भरता को ।। जाउ तन-धन जाउ जोवन, प्रान जाउ न क्यों । एक प्रभु की भक्ति मेरे, रहो ज्यों की त्यों।।१ ।। और देव अनेक सेवे, कछु न पायो हौं । ज्ञान खोयो गाँठिको, धन करत कुवनिज ज्यों ।।२ ।। पुत्र-मित्र कलत्र ये सब, सगे अपनी गों । नरक कूप उद्धरन श्रीजिन, समझ `भूधर' यों।।३ ।।