क्रियादृष्टि: Difference between revisions
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<p> दृष्टिप्रवाद नामक बारह, अंग में निर्दिष्ट तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों के चार विभागों में एक विभाग । इसके एक सौ अस्सी भेद इस प्रकार होते हैं― नियति, स्वभाव, काल, दैव और पौरुष इन पाँच को स्वत: परत: तथा नित्य और अनित्य से गुणित करने से बीस भेद तथा जीव आदि नौ पदार्थों को उक्त बीस भेदों से गुणित करने पर एक सौ अस्सी भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.46-51 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> दृष्टिप्रवाद नामक बारह, अंग में निर्दिष्ट तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों के चार विभागों में एक विभाग । इसके एक सौ अस्सी भेद इस प्रकार होते हैं― नियति, स्वभाव, काल, दैव और पौरुष इन पाँच को स्वत: परत: तथा नित्य और अनित्य से गुणित करने से बीस भेद तथा जीव आदि नौ पदार्थों को उक्त बीस भेदों से गुणित करने पर एक सौ अस्सी भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.46-51 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
दृष्टिप्रवाद नामक बारह, अंग में निर्दिष्ट तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों के चार विभागों में एक विभाग । इसके एक सौ अस्सी भेद इस प्रकार होते हैं― नियति, स्वभाव, काल, दैव और पौरुष इन पाँच को स्वत: परत: तथा नित्य और अनित्य से गुणित करने से बीस भेद तथा जीव आदि नौ पदार्थों को उक्त बीस भेदों से गुणित करने पर एक सौ अस्सी भेद । हरिवंशपुराण 10.46-51