प्रिय: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> | <li> कषायपाहुड़/1/1,13-14/219/271/9 <span class="SanskritText">स्वरुचिविषयीकृतं वस्तु प्रियं, यथा पुत्रादिः । </span>= <span class="HindiText">जो वस्तु अपने को रुचे उसे प्रिय कहते हैं । जैसे - पुत्र आदि । </span></li> | ||
<li class="HindiText"> उत्तरधातकीखण्ड द्वीप का रक्षक देव- देखें [[ व्यंतर#4.7 | व्यंतर - 4.7 ]]।</li> | <li class="HindiText"> उत्तरधातकीखण्ड द्वीप का रक्षक देव- देखें [[ व्यंतर#4.7 | व्यंतर - 4.7 ]]।</li> | ||
</ol> | </ol> |
Revision as of 19:13, 17 July 2020
- कषायपाहुड़/1/1,13-14/219/271/9 स्वरुचिविषयीकृतं वस्तु प्रियं, यथा पुत्रादिः । = जो वस्तु अपने को रुचे उसे प्रिय कहते हैं । जैसे - पुत्र आदि ।
- उत्तरधातकीखण्ड द्वीप का रक्षक देव- देखें व्यंतर - 4.7 ।