बारह तप व्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
शुक्ल पक्ष की किसी तिथि को | शुक्ल पक्ष की किसी तिथि को प्रारंभ करके प्रथम 12 दिन में 12 उपवास, आगे 12 एकाशन, 12 कांजिक (जल व भात का आहार), 12 निगोरस (गोरसरहित भोजन), 12 अल्पाहर, 12 एक लठाना (एक स्थान पर मौन सहित भोजन), 12 मूंग के आहार, 12 मोठ के आहार, 12 चोलाके आहार, 12 चना के आहार, 12 में मात्र जल, 12 घृत रहित आहार । इस प्रकार 9 क्रमों में बारह-बारह दिन का अंतराय चलकर मौन सहित भोजन करे । तथा नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करना । इसप्रकार कुल 144 दिन में व्रत समाप्त होता है । (व्रत विधान सं./पृ. 115); (किशनसिंह क्रियाकोष) । | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:29, 19 August 2020
शुक्ल पक्ष की किसी तिथि को प्रारंभ करके प्रथम 12 दिन में 12 उपवास, आगे 12 एकाशन, 12 कांजिक (जल व भात का आहार), 12 निगोरस (गोरसरहित भोजन), 12 अल्पाहर, 12 एक लठाना (एक स्थान पर मौन सहित भोजन), 12 मूंग के आहार, 12 मोठ के आहार, 12 चोलाके आहार, 12 चना के आहार, 12 में मात्र जल, 12 घृत रहित आहार । इस प्रकार 9 क्रमों में बारह-बारह दिन का अंतराय चलकर मौन सहित भोजन करे । तथा नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करना । इसप्रकार कुल 144 दिन में व्रत समाप्त होता है । (व्रत विधान सं./पृ. 115); (किशनसिंह क्रियाकोष) ।