यथाजात: Difference between revisions
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<p> | <p> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/204/278/15 <span class="SanskritText"> व्यवहारेण नग्नत्वं यथाजातरूपं निश्चयेन तु स्वात्मरूपं तदित्थंभूतं यथाजातरूपं धरतीति यथाजातरूपधरः निर्ग्रन्थो जात इत्यर्थः।</span> = <span class="HindiText">व्यवहार से नग्नपने को यथाजातरूपधर कहते हैं, निश्चय से तो जो आत्मा का स्वरूप है उसी प्रकार के यथाजात रूप को जो धरता है, वही यथाजातरूपधर अर्थात् समस्त परिग्रहों से रहित हुआ कहा जाता है। </span></p> | ||
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Revision as of 19:13, 17 July 2020
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/204/278/15 व्यवहारेण नग्नत्वं यथाजातरूपं निश्चयेन तु स्वात्मरूपं तदित्थंभूतं यथाजातरूपं धरतीति यथाजातरूपधरः निर्ग्रन्थो जात इत्यर्थः। = व्यवहार से नग्नपने को यथाजातरूपधर कहते हैं, निश्चय से तो जो आत्मा का स्वरूप है उसी प्रकार के यथाजात रूप को जो धरता है, वही यथाजातरूपधर अर्थात् समस्त परिग्रहों से रहित हुआ कहा जाता है।