राजऋषि: Difference between revisions
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देखें [[ ऋषि ]]। | <span class="GRef">प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति टीका / गाथा 249 में उद्धृत</span><p class="SanskritText">-राजाब्रह्मा च देवपरम इति ऋषिर्विक्रियाक्षीणशक्तिप्राप्तो बुद्ध्यौषधीशो वियदयनपटुर्विश्ववेदी क्रमेण।"</p> | ||
<p class="HindiText">= ऋषि चार प्रकार के कहे गये हैं-'''राजर्षि''', ब्रह्मर्षि, देवर्षि और परमर्षि। तिनमें विक्रिया और अक्षीण (क्षेत्र) शक्ति प्राप्त साधु '''राजर्षि''' कहलाते हैं; बुद्धि व औषधि ऋद्धि युक्त साधु ब्रह्मर्षि कहलाते हैं; आकाशगामी ऋद्धि संपन्न देवर्षि और विश्ववेदी केवल ज्ञानी अर्हंत भगवान् परमर्षि कहलाते हैं।</p> | |||
<p>(<span class="GRef"> चारित्रसार पृष्ठ 47/1 में उद्धृत</span>), ( <span class="GRef">सागार धर्मामृत अधिकार 7/20 में उद्धृत</span>)</p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ ऋषि ]]।</p> | |||
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Revision as of 09:02, 16 August 2023
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति टीका / गाथा 249 में उद्धृत
-राजाब्रह्मा च देवपरम इति ऋषिर्विक्रियाक्षीणशक्तिप्राप्तो बुद्ध्यौषधीशो वियदयनपटुर्विश्ववेदी क्रमेण।"
= ऋषि चार प्रकार के कहे गये हैं-राजर्षि, ब्रह्मर्षि, देवर्षि और परमर्षि। तिनमें विक्रिया और अक्षीण (क्षेत्र) शक्ति प्राप्त साधु राजर्षि कहलाते हैं; बुद्धि व औषधि ऋद्धि युक्त साधु ब्रह्मर्षि कहलाते हैं; आकाशगामी ऋद्धि संपन्न देवर्षि और विश्ववेदी केवल ज्ञानी अर्हंत भगवान् परमर्षि कहलाते हैं।
( चारित्रसार पृष्ठ 47/1 में उद्धृत), ( सागार धर्मामृत अधिकार 7/20 में उद्धृत)
अधिक जानकारी के लिये देखें ऋषि ।