वृषभदत्त: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) कुशाग्रपुर का एक श्रावक । इसने तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.38-39 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 16.59 </span></p> | <p id="1"> (1) कुशाग्रपुर का एक श्रावक । इसने तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.38-39 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 16.59 </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजपुर नगर का एक सेठ । इसकी स्त्री पद्मावती और पुत्र जिनदत्त था । यह | <p id="2">(2) राजपुर नगर का एक सेठ । इसकी स्त्री पद्मावती और पुत्र जिनदत्त था । यह अंत में मुनिराज गुणपाल के निकट दीक्षित हो गया था । इसकी पत्नी ने भी आर्यिका सुव्रता से संयम धारण कर किया था । <span class="GRef"> महापुराण 75.314-320 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक सेठ । इसकी स्त्री सुभद्रा थी । किसी वनेचर से इसे चेटकी की पुत्री | <p id="3">(3) एक सेठ । इसकी स्त्री सुभद्रा थी । किसी वनेचर से इसे चेटकी की पुत्री वंदना प्राप्त हुई थी । इसका अपर नाम वृषभसेन था । <span class="GRef"> महापुराण 74.338-342, 75.52-54 </span>देखें [[ वृषभसेन#3 | वृषभसेन - 3]]</p> | ||
Revision as of 16:36, 19 August 2020
(1) कुशाग्रपुर का एक श्रावक । इसने तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । पद्मपुराण 21.38-39 हरिवंशपुराण 16.59
(2) राजपुर नगर का एक सेठ । इसकी स्त्री पद्मावती और पुत्र जिनदत्त था । यह अंत में मुनिराज गुणपाल के निकट दीक्षित हो गया था । इसकी पत्नी ने भी आर्यिका सुव्रता से संयम धारण कर किया था । महापुराण 75.314-320
(3) एक सेठ । इसकी स्त्री सुभद्रा थी । किसी वनेचर से इसे चेटकी की पुत्री वंदना प्राप्त हुई थी । इसका अपर नाम वृषभसेन था । महापुराण 74.338-342, 75.52-54 देखें वृषभसेन - 3