सूत्रजसम्यक्त्व: Difference between revisions
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<p> सम्यक्त्व के दस भेदों में चौथा भेद आचारांग आदि अंगों के सुनने से उनमें शीघ्र उत्पन्न श्रद्धा सूत्रज-सम्यक्त्व है । <span class="GRef"> महापुराण 74.439-440, 443-444, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.141, 146 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सम्यक्त्व के दस भेदों में चौथा भेद आचारांग आदि अंगों के सुनने से उनमें शीघ्र उत्पन्न श्रद्धा सूत्रज-सम्यक्त्व है । <span class="GRef"> महापुराण 74.439-440, 443-444, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.141, 146 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
सम्यक्त्व के दस भेदों में चौथा भेद आचारांग आदि अंगों के सुनने से उनमें शीघ्र उत्पन्न श्रद्धा सूत्रज-सम्यक्त्व है । महापुराण 74.439-440, 443-444, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.141, 146