संवेदिनक्रिया: Difference between revisions
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<p> संसार से भय उत्पन्न करने वाली कथा । यह आक्षेपिणी, विक्षेपिणी, संवेदिनी और निर्वेदिनी इन चार प्रकार की कथाओं में तीसरे प्रकार की कथा है । इसी को संवेजिनी कहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 1.135-136, </span>देखें [[ संवेजिनी ]]।</p> | <div class="HindiText"> <p> संसार से भय उत्पन्न करने वाली कथा । यह आक्षेपिणी, विक्षेपिणी, संवेदिनी और निर्वेदिनी इन चार प्रकार की कथाओं में तीसरे प्रकार की कथा है । इसी को संवेजिनी कहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 1.135-136, </span>देखें [[ संवेजिनी ]]।</p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
संसार से भय उत्पन्न करने वाली कथा । यह आक्षेपिणी, विक्षेपिणी, संवेदिनी और निर्वेदिनी इन चार प्रकार की कथाओं में तीसरे प्रकार की कथा है । इसी को संवेजिनी कहते हैं । महापुराण 1.135-136, देखें संवेजिनी ।