हृदयधर्मा: Difference between revisions
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Revision as of 16:41, 19 August 2020
सुग्रीव की तीसरी पुत्री । यह और इसकी बड़ी बहिन हृदयावली दोनों राम के गुणों को सुनकर स्वयं वरण की इच्छा से उनके पास आयी थी । पद्मपुराण 47.136-137