अद्धा: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या /३/३८ अद्धा कालस्थितिरित्यर्थः। < | <p class="SanskritPrakritSentence">[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या /३/३८ अद्धा कालस्थितिरित्यर्थः। </p> | ||
<p class="HindiSentence">= अद्धा और काल की स्थिति ये एकार्थवाची हैं। </p> | <p class="HindiSentence">= अद्धा और काल की स्थिति ये एकार्थवाची हैं। </p> | ||
([[धवला]] पुस्तक संख्या ४/१,५,१/३१८/१) ([[धवला]] पुस्तक संख्या १३/५,५,५०/२८४/२), ([[भगवती आराधना]] / [[विजयोदयी टीका]]/ गाथा संख्या २५/८६/४)।<br> | ([[धवला]] पुस्तक संख्या ४/१,५,१/३१८/१) ([[धवला]] पुस्तक संख्या १३/५,५,५०/२८४/२), ([[भगवती आराधना]] / [[विजयोदयी टीका]]/ गाथा संख्या २५/८६/४)।<br> | ||
[[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ५/१,१६/४३३/२२ अद्धाशब्दो निपातः कालवाची। < | <p class="SanskritPrakritSentence">[[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ५/१,१६/४३३/२२ अद्धाशब्दो निपातः कालवाची। </p> | ||
<p class="HindiSentence">= अद्धा शब्द एक निपात है, वह कालवाची है।</p> | <p class="HindiSentence">= अद्धा शब्द एक निपात है, वह कालवाची है।</p> | ||
[[कषायपाहुड़]] पुस्तक संख्या ४/३, २२/$२९/१५/८ का अद्धा णाम। ट्ठिदिबंधकालो। < | <p class="SanskritPrakritSentence">[[कषायपाहुड़]] पुस्तक संख्या ४/३, २२/$२९/१५/८ का अद्धा णाम। ट्ठिदिबंधकालो। </p> | ||
<p class="HindiSentence">= अद्धा किसे कहते हैं। स्थिति बन्ध के काल को अद्धा कहते हैं।</p> | <p class="HindiSentence">= अद्धा किसे कहते हैं। स्थिति बन्ध के काल को अद्धा कहते हैं।</p> | ||
[[Category:अ]] | [[Category:अ]] |
Revision as of 13:13, 24 May 2009
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या /३/३८ अद्धा कालस्थितिरित्यर्थः।
= अद्धा और काल की स्थिति ये एकार्थवाची हैं।
(धवला पुस्तक संख्या ४/१,५,१/३१८/१) (धवला पुस्तक संख्या १३/५,५,५०/२८४/२), (भगवती आराधना / विजयोदयी टीका/ गाथा संख्या २५/८६/४)।
राजवार्तिक अध्याय संख्या ५/१,१६/४३३/२२ अद्धाशब्दो निपातः कालवाची।
= अद्धा शब्द एक निपात है, वह कालवाची है।
कषायपाहुड़ पुस्तक संख्या ४/३, २२/$२९/१५/८ का अद्धा णाम। ट्ठिदिबंधकालो।
= अद्धा किसे कहते हैं। स्थिति बन्ध के काल को अद्धा कहते हैं।