ज्ञानसागर: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
<li>आ.देवसेन (ई.933-955) द्वारा रचित प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ। </li> | <li>आ.देवसेन (ई.933-955) द्वारा रचित प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ। </li> | ||
<li> मुनि पद्मसिंह (ई.1086) कृत 63 गाथा और 74 शलोक प्रमाण ग्रन्थ। विषय–कर्महेतुक संसार भ्रमण। (ती./3) </li> | <li> मुनि पद्मसिंह (ई.1086) कृत 63 गाथा और 74 शलोक प्रमाण ग्रन्थ। विषय–कर्महेतुक संसार भ्रमण। (ती./3) </li> | ||
</ol> | <li>काष्ठा संघ नन्दितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिन्दी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.17 (ई.श.17 पूर्व)। (ती./3/442), (हिन्दी जैन साहित्य इतिहास/37/डा.कामता प्रसाद)।</li> | ||
</ol> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 19:11, 17 July 2020
- आ.देवसेन (ई.933-955) द्वारा रचित प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ।
- मुनि पद्मसिंह (ई.1086) कृत 63 गाथा और 74 शलोक प्रमाण ग्रन्थ। विषय–कर्महेतुक संसार भ्रमण। (ती./3)
- काष्ठा संघ नन्दितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिन्दी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र.मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.17 (ई.श.17 पूर्व)। (ती./3/442), (हिन्दी जैन साहित्य इतिहास/37/डा.कामता प्रसाद)।