कुंभक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> ज्ञानार्णव/29/5 <span class="SanskritText">निरुणद्धि स्थिरीकृत्य श्वसनं | <p> ज्ञानार्णव/29/5 <span class="SanskritText">निरुणद्धि स्थिरीकृत्य श्वसनं नाभिपंकजे। कुंभवन्निर्भर: सोऽयं कुंभक: परिकीर्त्तित:।</span>=<span class="HindiText">पूरक पवन को स्थिर करके नाभि कमल में जै से घड़े को भरैं तैसें रोकैं (थांभै) नाभि से अन्य जगह चलने न दें सो कुंभक कहा है।<br /> | ||
</span></p> | </span></p> | ||
<ul> | <ul> | ||
<li><span class="HindiText"> | <li><span class="HindiText"> कुंभक प्राणायाम संबंधी विषय–देखें [[ प्राणायाम ]]। </span></li> | ||
</ul> | </ul> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
[[ कुंभ | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ कुंभ | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ कुंभकंटक | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] |
Revision as of 16:21, 19 August 2020
ज्ञानार्णव/29/5 निरुणद्धि स्थिरीकृत्य श्वसनं नाभिपंकजे। कुंभवन्निर्भर: सोऽयं कुंभक: परिकीर्त्तित:।=पूरक पवन को स्थिर करके नाभि कमल में जै से घड़े को भरैं तैसें रोकैं (थांभै) नाभि से अन्य जगह चलने न दें सो कुंभक कहा है।
- कुंभक प्राणायाम संबंधी विषय–देखें प्राणायाम ।