दृश्यमान द्रव्य: Difference between revisions
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क्षपणासार/ मू./505 का भावार्थ–किसी भी स्पर्धक या कृष्टि आदि में पूर्व का द्रव्य या निषेक या | क्षपणासार/ मू./505 का भावार्थ–किसी भी स्पर्धक या कृष्टि आदि में पूर्व का द्रव्य या निषेक या वर्गणाएँ तथा नया मिलाया गया द्रव्य दोनों मिलकर दृश्यमान द्रव्य होता है। अर्थात् वर्तमान समय में जितना द्रव्य दिखाई दे रहा है, वह दृश्यमान द्रव्य है। | ||
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Revision as of 14:23, 20 July 2020
क्षपणासार/ मू./505 का भावार्थ–किसी भी स्पर्धक या कृष्टि आदि में पूर्व का द्रव्य या निषेक या वर्गणाएँ तथा नया मिलाया गया द्रव्य दोनों मिलकर दृश्यमान द्रव्य होता है। अर्थात् वर्तमान समय में जितना द्रव्य दिखाई दे रहा है, वह दृश्यमान द्रव्य है।