माध्यस्थ्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 5: | Line 5: | ||
[[ माध्यस्थभाव | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ माध्यस्थभाव | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ माध्व | [[ माध्व वेदांत | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: म]] | [[Category: म]] |
Revision as of 16:32, 19 August 2020
सर्वार्थसिद्धि/7/11/349/8 रागद्वेषपूर्वकपक्षपाताभावो माध्यस्थ्यम्। = रागद्वेषपूर्वक पक्षपात का न करना माध्यस्थ्य है। ( राजवार्तिक/7/11/4/538/21 )।
देखें सामायिक - 1 (माध्यस्थ, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृह, शुद्धभाव, वीतरागता, चारित्र, धर्म यह सब एकार्थवाचक शब्द हैं। ... (क्रोधी, पापी, मांसाहारी) व नास्तिक आदि जनों में माध्यस्थभाव होना उपेक्षा कहलाती है।