आतम अनुभव आवै जब निज: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:भागचन्दजी]] | [[Category:भागचन्दजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] | |||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] | [[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Revision as of 11:13, 14 February 2008
(राग गौरी)
आतम अनुभव आवै जब निज, आतम अनुभव आवै ।
और कछू न सुहावै, जब निज आतम आतम अनुभव आवै ।।टेक ।।
रस नीरस हो जात ततच्छिन, अक्ष विषय नहीं भावै ।।१ ।।
गोष्ठी कथा कुतुहल विघटै, पुद्गलप्रीति नसावै ।।२ ।।
राग-दोष जुग चपल पक्षजुत, मन पक्षी मर जावै ।।३ ।।
ज्ञानानन्द सुधारस, उधमै, घर अंतर न समावे ।।४ ।।
`भागचन्द' ऐसे अनुभव के, हाथ जोरि सिर नावै ।।५ ।।