व्यास: Difference between revisions
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<li> पां. पु./सर्ग/श्लोक-भीष्म का सौतेला भाई था। धीवर की कन्या से उत्पन्न पाराशर का पुत्र था। (7/114-117)। इसके तीन पुत्र थे–धृतराष्टन्, | <li> पां. पु./सर्ग/श्लोक-भीष्म का सौतेला भाई था। धीवर की कन्या से उत्पन्न पाराशर का पुत्र था। (7/114-117)। इसके तीन पुत्र थे–धृतराष्टन्, पांडु व विदुर। (7/117)। अपर नाम धृतमर्त्य था। (8/17)।</li> | ||
<li> महाभारत आदि पुराणों के रचयिता। | <li> महाभारत आदि पुराणों के रचयिता। समय–अत्यंत प्राचीन। </li> | ||
<li> योगदर्शन के भाष्यकार। समय–ई. श./4 (देखें [[ योगदर्शन ]])।</li> | <li> योगदर्शन के भाष्यकार। समय–ई. श./4 (देखें [[ योगदर्शन ]])।</li> | ||
<li> व्यास एलापुत्र एक विनयवादी था।–देखें [[ वैनयिक ]]। </li> | <li> व्यास एलापुत्र एक विनयवादी था।–देखें [[ वैनयिक ]]। </li> | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> भीष्म का सौतेला भाई । यह हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा पाराशर और रानी सत्यवती का पुत्र था । इसकी सुभद्रा स्त्री थी । इन दोनों के तीन पुत्र हुए थे― धृतराष्ट्र, | <p> भीष्म का सौतेला भाई । यह हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा पाराशर और रानी सत्यवती का पुत्र था । इसकी सुभद्रा स्त्री थी । इन दोनों के तीन पुत्र हुए थे― धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर । इनकी माँ का नाम योजनगंधा अपर नाम गुणवती था । व्यास का दूसरा नाम धृत्मर्त्य था । <span class="GRef"> महापुराण 70. 101-103, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.39-41, 7.114-117, 8.17 </span></p> | ||
Revision as of 16:37, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
Diameter.( धवला 5/ प्र.28)।–देखें गणित - II.7.4।
- पां. पु./सर्ग/श्लोक-भीष्म का सौतेला भाई था। धीवर की कन्या से उत्पन्न पाराशर का पुत्र था। (7/114-117)। इसके तीन पुत्र थे–धृतराष्टन्, पांडु व विदुर। (7/117)। अपर नाम धृतमर्त्य था। (8/17)।
- महाभारत आदि पुराणों के रचयिता। समय–अत्यंत प्राचीन।
- योगदर्शन के भाष्यकार। समय–ई. श./4 (देखें योगदर्शन )।
- व्यास एलापुत्र एक विनयवादी था।–देखें वैनयिक ।
पुराणकोष से
भीष्म का सौतेला भाई । यह हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा पाराशर और रानी सत्यवती का पुत्र था । इसकी सुभद्रा स्त्री थी । इन दोनों के तीन पुत्र हुए थे― धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर । इनकी माँ का नाम योजनगंधा अपर नाम गुणवती था । व्यास का दूसरा नाम धृत्मर्त्य था । महापुराण 70. 101-103, पांडवपुराण 2.39-41, 7.114-117, 8.17