आम्नाय: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<p class="SanskritText">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/25/443/5/ घोषशुद्धंपरिवर्तनमाम्नायः।</p> | <p class="SanskritText">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/25/443/5/ घोषशुद्धंपरिवर्तनमाम्नायः।</p> | ||
<p class="HindiText">= उच्चारणकी शुद्धि पूर्वक पाठको पुनः पुनः दोहराना आम्नाय है।</p> | <p class="HindiText">= उच्चारणकी शुद्धि पूर्वक पाठको पुनः पुनः दोहराना आम्नाय है।</p> | ||
Line 19: | Line 20: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> स्वाध्याय तप का चौथा भेद- पाठ का बार-बार अभ्यास करना । देखें [[ स्वाध्याय ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> स्वाध्याय तप का चौथा भेद- पाठ का बार-बार अभ्यास करना । देखें [[ स्वाध्याय ]]</p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:52, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 9/25/443/5/ घोषशुद्धंपरिवर्तनमाम्नायः।
= उच्चारणकी शुद्धि पूर्वक पाठको पुनः पुनः दोहराना आम्नाय है।
( तत्त्वार्थसार अधिकार 7/19), ( अनगार धर्मामृत अधिकार 7/87/716)
राजवार्तिक अध्याय 9/25/4/624/16 व्रतिनो वेदितसमाचारस्यैहलोकिकफलनिरपेक्षस्य द्रुतविलंबितादिघोषविशुद्धं परिवर्तनमाम्नाय इत्युपदिश्यते।
= आचारपारगामी व्रतीका लौकिक फलकी अपेक्षा किये बिना द्रुतविलंबितादि पाठ दोषोंसे रहित होकर पाठका फेरना, घोखना आम्नाय है।
( चारित्रसार पृष्ठ 153/3)
पुराणकोष से
स्वाध्याय तप का चौथा भेद- पाठ का बार-बार अभ्यास करना । देखें स्वाध्याय