भावसत्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
(No difference)
|
Revision as of 16:30, 19 August 2020
दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । छद्मस्थ को द्रव्यों का यथार्थ ज्ञान नहीं होता है । अत: जो पदार्थ इंद्रियगोचर न हो उसके संबंध में केवली द्वारा कथित वचनों को प्रमाण मानना भावसत्य है । प्रासुक और अप्रासुक द्रव्यों का निर्णय इसी प्रकार किया जाता है । हरिवंशपुराण 10. 106