भावसत्य
From जैनकोष
दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । छद्मस्थ को द्रव्यों का यथार्थ ज्ञान नहीं होता है । अत: जो पदार्थ इंद्रियगोचर न हो उसके संबंध में केवली द्वारा कथित वचनों को प्रमाण मानना भावसत्य है । प्रासुक और अप्रासुक द्रव्यों का निर्णय इसी प्रकार किया जाता है । हरिवंशपुराण - 10.106