वनवीथी: Difference between revisions
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<p> समवसरण के मार्ग । धूपघटों के कुछ ही आगे मुख्य गलियों के समीप ये चार-चार होती है । इनमें अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्रवृक्षों के वन होते हैं । इन वनों के वृक्ष इतने अधिक प्रकाशमान होते हैं कि वहाँ रात और दिन में कोई भेद दिखाई नहीं देता । इनमें बावड़ी, सरोवर, चित्रशालाएँ भी होती है । <span class="GRef"> महापुराण 22. 162-163, 173-185 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> समवसरण के मार्ग । धूपघटों के कुछ ही आगे मुख्य गलियों के समीप ये चार-चार होती है । इनमें अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्रवृक्षों के वन होते हैं । इन वनों के वृक्ष इतने अधिक प्रकाशमान होते हैं कि वहाँ रात और दिन में कोई भेद दिखाई नहीं देता । इनमें बावड़ी, सरोवर, चित्रशालाएँ भी होती है । <span class="GRef"> महापुराण 22. 162-163, 173-185 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
समवसरण के मार्ग । धूपघटों के कुछ ही आगे मुख्य गलियों के समीप ये चार-चार होती है । इनमें अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्रवृक्षों के वन होते हैं । इन वनों के वृक्ष इतने अधिक प्रकाशमान होते हैं कि वहाँ रात और दिन में कोई भेद दिखाई नहीं देता । इनमें बावड़ी, सरोवर, चित्रशालाएँ भी होती है । महापुराण 22. 162-163, 173-185