वनवीथी
From जैनकोष
समवसरण के मार्ग । धूपघटों के कुछ ही आगे मुख्य गलियों के समीप ये चार-चार होती है । इनमें अशोक, सप्तपर्ण, चंपक और आम्रवृक्षों के वन होते हैं । इन वनों के वृक्ष इतने अधिक प्रकाशमान होते हैं कि वहाँ रात और दिन में कोई भेद दिखाई नहीं देता । इनमें बावड़ी, सरोवर, चित्रशालाएँ भी होती है । महापुराण 22. 162-163, 173-185