विनयसंपन्नता: Difference between revisions
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Revision as of 16:35, 19 August 2020
तीर्थंकर-प्रकृति के बंध की कारणभूत सोलह भावनाओं में दूसरी भावना । ज्ञान आदि गुणों और उनके धारकों में कषायरहित परिणामों में आदरभाव रखना विनयसंपन्नता-भावना कहलाती है । महापुराण 63. 321, हरिवंशपुराण 34.133