श्रीनाग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) जंबूद्वीप के कच्छकावती देश का एक पर्वत । वीतशोक नगर के राजा वैश्रवण ने इसी पर्वत पर श्रीनागपति मुनि से धर्मश्रवण कर तप धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 66.2, 13-14 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के कच्छकावती देश का एक पर्वत । वीतशोक नगर के राजा वैश्रवण ने इसी पर्वत पर श्रीनागपति मुनि से धर्मश्रवण कर तप धारण किया था । <span class="GRef"> महापुराण 66.2, 13-14 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सीमंत पर्वत पर विराजमान मुनि । ये हरिषेण चक्रवर्ती के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 67.61, 85-86 </span></p> | <p id="2">(2) सीमंत पर्वत पर विराजमान मुनि । ये हरिषेण चक्रवर्ती के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 67.61, 85-86 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) जंबूद्वीप के कच्छकावती देश का एक पर्वत । वीतशोक नगर के राजा वैश्रवण ने इसी पर्वत पर श्रीनागपति मुनि से धर्मश्रवण कर तप धारण किया था । महापुराण 66.2, 13-14
(2) सीमंत पर्वत पर विराजमान मुनि । ये हरिषेण चक्रवर्ती के दीक्षागुरु थे । महापुराण 67.61, 85-86