सूर्यहास: Difference between revisions
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<p> एक खड्गरत्न । इसकी एक हजार देव पूजा करते थे । स्वाभाविक उत्तम गंध भी इसमें थी । यह दिव्य मालाओं से अलंकृत था । इसकी सुगंध से आकृष्ट होकर लक्ष्मण इसके निकट गया था । इसे उसने निशंक होकर ले लिया था । इसकी तीक्ष्णता की परीक्षा के लिए उसने बाँसों के झुरमुट को काट डाला था । शंबूक इसको पाने के लिए इसी झुरमुट के बीच साधना-रत था । अत: भ्रांतिवश इस रत्न को पाने के यत्न में ही वह लक्ष्मण द्वारा मारा गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 43.53-62, 72-75 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> एक खड्गरत्न । इसकी एक हजार देव पूजा करते थे । स्वाभाविक उत्तम गंध भी इसमें थी । यह दिव्य मालाओं से अलंकृत था । इसकी सुगंध से आकृष्ट होकर लक्ष्मण इसके निकट गया था । इसे उसने निशंक होकर ले लिया था । इसकी तीक्ष्णता की परीक्षा के लिए उसने बाँसों के झुरमुट को काट डाला था । शंबूक इसको पाने के लिए इसी झुरमुट के बीच साधना-रत था । अत: भ्रांतिवश इस रत्न को पाने के यत्न में ही वह लक्ष्मण द्वारा मारा गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 43.53-62, 72-75 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
एक खड्गरत्न । इसकी एक हजार देव पूजा करते थे । स्वाभाविक उत्तम गंध भी इसमें थी । यह दिव्य मालाओं से अलंकृत था । इसकी सुगंध से आकृष्ट होकर लक्ष्मण इसके निकट गया था । इसे उसने निशंक होकर ले लिया था । इसकी तीक्ष्णता की परीक्षा के लिए उसने बाँसों के झुरमुट को काट डाला था । शंबूक इसको पाने के लिए इसी झुरमुट के बीच साधना-रत था । अत: भ्रांतिवश इस रत्न को पाने के यत्न में ही वह लक्ष्मण द्वारा मारा गया था । पद्मपुराण 43.53-62, 72-75