सूर्यहास
From जैनकोष
एक खड्ग रत्न । इसकी एक हजार देव पूजा करते थे । स्वाभाविक उत्तम गंध भी इसमें थी । यह दिव्य मालाओं से अलंकृत था । इसकी सुगंध से आकृष्ट होकर लक्ष्मण इसके निकट गया था । इसे उसने निशंक होकर ले लिया था । इसकी तीक्ष्णता की परीक्षा के लिए उसने बाँसों के झुरमुट को काट डाला था । शंबूक इसको पाने के लिए इसी झुरमुट के बीच साधना-रत था । अत: भ्रांतिवश इस रत्न को पाने के यत्न में ही वह लक्ष्मण द्वारा मारा गया था । पद्मपुराण - 43.53-62,पद्मपुराण - 43.72-75