संचेतन: Difference between revisions
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Revision as of 13:03, 14 October 2020
समयसार / आत्मख्याति/ क.224 पं.जयचंद - किसी के प्रति एकाग्र होकर उसका ही अनुभव रूप स्वाद लिया करना उसका संचेतन कहलाता है।